कुछ सालों पहले की बात है, शहर में सड़क किनारे एक विलक्षण वाहन खड़ा था।
देखते ही पाँच वर्षीय बालक झुल्लू ने आश्चर्य से अपने पिता से पूछा,
"बाबू! ई कवन गाड़ी ह, जवने में, केवल डराइबर बइठल?"
"बउआ! एकरा हथिसुड़वा कहल जाला, एकरा से पहाड़
खोदल जाला, डहर बनावल जाला, नया निर्माण करल जाला। तहरा गाँव के जब
पक्का सड़क बनी त तहरा गाँव में भी आई।" पिता ने बड़े ही प्यार से झुल्लू को
बताया।
एक दिन सुबह-सुबह की ही बात है, पैतीस वर्षीय
झुल्लू अपने दोस्त इकराम के साथ खड़ा था, उसके गाँव में वही हथिसुड़वा आया है,
झुल्लू
खुश है, क्योंकि कल ही उसने सरपंच से शहर और गाँव के बीच बाधा बन रहे पहाड़ को
काट, गाँव में सड़क बनाने के लिए तीखी बहस की थी। अब उसको गाँव में सड़क
बनने का सपना साकार लगा ही था कि बुलडोज़र चढ़ बैठा उसके घर पर और क्षणभर में मलबा
हो गया उसका और इकराम का घर।
झुल्लू की बिटिया, वही सवाल कर रही है झुल्लू से, जो
उसने अपने पिता से पूछा था, लेकिन झुल्लू का उत्तर था,
"बिटिया! एकरा बुलडोज़र कहल जाला, जवने के देस
कानून के छाती पर चढ़ा के लोगन के घर गिराव जाला।"
पापा! हमारी गलती क्या है कि घर गिरा दिया हमारा? बिटिया!
कल तहार बाऊ, माने कि हम आ तहार इकराम चचा सरपंच से ओकरा गलत बात न माने खातिर अड़
गइल रहली जा। सरपंच इहवाँ के बड़का अदमी ह आ जड़बुद्धि, घमण्डी, जातिवादी,
धरमवादी
ह, ऊ अपना ख़िलाफ़ बात बर्दाश्त ना करेला, उहो हम जइसे
छोटका लोगन से। जवन अदमी के पास बुद्धि ना होखेला,
ऊ अपना ताकत देखावेला।"
तो पापा! गाँव के बाकी लोग क्यों नहीं रोक रहे? बिटिया
दुःखी मन से पूछती है। लाचार झुल्लू और इकराम जब तक बिटिया को जवाब देते, उनको
गोली लग चुकी थी, बिटिया सन्नाटे में कभी उन्हें देखती, कभी गाँव वालों
को, जिन्होंने झुल्लू और इकराम के एनकाउंटर के लिए पुलिस बुलाया था,
और
एक को इलज़ाम दिया सरपंच के पाटीदारों पर पत्थर चलाने का, और झुल्लू को
ज़मीन हथियाने का।
पाँच साल की बिटिया अब बेघर, बेबस, लावारिस सड़कों
पर खड़ी भीख माँग रही है। वह सरपंच के ख़िलाफ़ कानूनन मुकदमा भी नहीं कर सकती,
क्योंकि
कानून का एनकाउंटर कर चुकी थी पुलिस, और बचे हुए को बुलडोज़र रौंद चुका था,
कई
बार गाँव के कई लोगों के घरों पर चढ़ कर, जिसने भी सरपंच के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई थी।
अब इस गाँव में कई महिलाएँ और बच्चे सड़कों-चौराहों पर या तो भीख माँग
रहे हैं, या बेच रहे हैं, पेन डायरी सस्ते दामों में।
सरपंच सुशासन और गाँव ने सर्वोत्तम व्यवस्था के नाम पर पद्म पुरस्कारों से सम्मानित हो रहा है।
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