शब्द समर

विशेषाधिकार

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15.3.10

ज़िन्दगी के अंतिम मुकाम पर



मैं तेरा नाम छोड़ जाऊँगा
तेरी नज़रें बस मुझको देखेंगी
मैं ऐसी शाम छोड़ जाऊँगा

तुझपे अक्सर सुरूर मेरा हो
मैं ऐसा जाम छोड़ जाऊँगा

इसके पहले कि दाग तुझको लगे
खुद को बदनाम छोड़ जाऊँगा

दुनिया तुझमे ही मुझको देखेगी
खुद को गुमनाम छोड़ जाऊँगा

ज़िन्दगी होगी जब अन्तिम मुकाम पर
खुद पे इलज़ाम छोड़ जाऊँगा