शब्द समर

विशेषाधिकार

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6.1.15

एक ज़रूरत

ख़्वाब के लिए नींद चाहिए,
नींद के लिए सुकून चाहिए,
सुकून के लिए आराम चाहिए,
आराम के लिए मुस्कान चाहिए,
मुस्कान के लिए प्यार चाहिए,
प्यार के लिए हमराज़ चाहिए,
हमराज़ के लिए अल्फाज़ चाहिए,
अल्फाज़ के लिए एहसास चाहिए,
एहसास के लिए ख़्वाब चाहिए,
और ख़्वाब के लिए नींद चाहिए|

नींद की ख्वाहिश

मेरी नींद दरख्तों के पत्तों में,
जंगल के झुरमुटों में,
आम के बगीचों में,
गुलाब के काँटों में,
बेरों और अमरबेलों में,
दुनिया से रुखसत हुई
रूहों की तरह
पाना चाहती है एक जिस्म
और खिलना चाहती है
कमल की तरह,
महकना चाहती है ग़ज़ल की तरह,
चहकना चाहती है परिंदों के झुण्ड में,
लटकना चाहती है बाल्टी बन
पानी के कुण्ड में|
पाना चाहती है लोरियाँ और थपकियाँ,
जिसमें खो जाती हैं सारी सिसकियाँ,
गुम हो जाती हैं सारी थकाने|
बनाना चाहती है प्यार का महल
किसी ख़्वाबगाह में|

गड्ढा

चित्र-साभार, गूगल  
होते ही बारिश
भर जाता हूँ मैं लबालब
अपनी क्षमता के अनुसार
या उससे भी अधिक कभी-कभी
किन्तु गड़ाए हुए
अपनी पैनी नज़र
चारों ओर से कई सूर्य
देखते ही जल समूह मेरे भीतर
फेक देते हैं तपती किरणें
मेरे ऊपर अपनी-अपनी आवश्यकताओं की
और
सोख लेते हैं मुझे पूरी ताक़त से|
नहीं बचाते एक बूँद भी मुझमें
कि
अपनी या किसी भी ज़रूरतमंद की
मैं बुझा सकूँ प्यास|
बस पूरे साल पड़ा रहता हूँ
अपने ही भीतर दरारें लिए
जिसमें कीड़े भी नहीं पनपते|