शब्द समर

विशेषाधिकार

भारतीय दंड संहिता के कॉपी राईट एक्ट (1957) के अंतर्गत सर्वाधिकार रचनाकार के पास सुरक्षित है|
चोरी पाए जाने पर दंडात्मक कारवाई की जाएगी|
अतः पाठक जन अनुरोध है कि बिना रचनाकार के अनुमति के रचना का उपयोग न करें, या करें, तो उसमें रचनाकार का नाम अवश्य दें|

24.8.19

तारीख़ों की दस्तक


मैं देता रहूँगा दस्तक तुम्हारी यादों के दरवाज़ों पर,
जब कभी तुम मशगुल हो जाओगे
ज़िन्दगी के कमरे अपनी मशरूफ़ियत के साथ|

तुम झट से उठ बैठोगे ,
बनाओगे मन कि "खोल दूँ दरवाज़ा,
भर लूँ आगोश में तारीख़ों को,"
लेकिन हक़ीक़त की बेड़ियाँ तुम्हें जकड़ लेंगी|
तुम फिर
घुल जाओगे
कमरे की सीलन में|

और मैं,
थोड़ी और देर थपथपा के किवाड़,
लौट जाऊँगा कुछ पलों के लिए|
तुम आँखों में बेबसी का पानी रोके,
फिर मशरूफ़ हो जाओगे,
मेरे वापस आने तक|