शब्द समर

विशेषाधिकार

भारतीय दंड संहिता के कॉपी राईट एक्ट (1957) के अंतर्गत सर्वाधिकार रचनाकार के पास सुरक्षित है|
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1.12.19

निरर्थक


वह जो होना चाहता था,
उसे किसी ने होने नहीं दिया|

उसे जो होना चाहिए था,
उसे भी किसी ने होने नहीं दिया|

उसे जो नहीं होना था,
वह तो कभी वह हो ही नहीं सकता था|

वह जो हो चुका है,
उसे वह भी नहीं जानता 
कि वह क्या हुआ है|

फिर भी उस होने को,
वह जीता है 
अपने शरीर, 
और दूसरों के मन में
यही उसका आदि और यही अन्त है|

बीच में जो भी है,
वह तड़पने की कविता है,
जो न भी होता
तो भी वह होता..