शब्द समर

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29.9.14

लोकगीत-रसीले नैना

चित्र साभार-गूगल 
इस गीत की प्रथम पंक्ति मैंने अपने बाल्यकाल में अपनी दीदी से सुना था| आज अचानक याद आ गया तो बाकी की पंक्तियाँ स्वतः ही लिख डाली| हो सकता है प्रमुख गीत के शब्दों से थोड़ा-बहुत इसका संबंध हो रहा हो तो इसके प्रमुख रचनाकार से क्षमाप्रार्थी हूँ|

सखी पनिया कैइसे जाऊँ रसीले दोऊ नैना
गुइयाँ पनिया कैइसे जाऊँ रसीले दोऊ नैना
रसीले दोऊ नैना, नशीले दोऊ नैना
रानियाँ पनिया कैइसे जाऊँ रसीले दोऊ नैना

मोरे नैनों का रस छलके, जब चालूँ मैं हलके-हलके
मैं कमरिया से बलखाऊँ, सम्हाले भी सम्हले ना
प्यारी पनिया कैइसे जाऊँ रसीले दोऊ नैना


पनघट पर बइठे छैला, हाथों लेके ढेला
मोरि गगरी कैसे बचाऊँ, उका काम है फोरते रहना 
बीबी पनिया कैइसे जाऊँ रसीले दोऊ नैना

कहने को मोरे जेठा, दुअरा में आके बैइठा
ओके लालच से डर जाऊँ, छुपा के मोहे रखना
बिट्टी पनिया कैइसे जाऊँ रसीले दोऊ नैना

मोर बालम बड़े छबीले, मोर बाँह कभी न ढीले
उनके बोसे में घुल जाऊँ, पनिया की सुद्ध रहे ना
लाला पनिया कैइसे जाऊँ रसीले दोऊ नैना


दिन चार बची जिंदगानी, मैं रोकूँ कइसे पानी
किस-किस से नजर बचाऊँ, बैरी ही मोरे नैना
रजनी पनिया कैइसे जाऊँ रसीले दोऊ नैना

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