शब्द समर

विशेषाधिकार

भारतीय दंड संहिता के कॉपी राईट एक्ट (1957) के अंतर्गत सर्वाधिकार रचनाकार के पास सुरक्षित है|
चोरी पाए जाने पर दंडात्मक कारवाई की जाएगी|
अतः पाठक जन अनुरोध है कि बिना रचनाकार के अनुमति के रचना का उपयोग न करें, या करें, तो उसमें रचनाकार का नाम अवश्य दें|

11.7.22

अजीब है ज़िन्दगी

अजीब है ज़िन्दगी ये ग़ज़ब का नशा भी
कहो मयक़दों को अब शराब ना पिलाएँ।

मदहोश है रात ये ग़ज़ब की ख़ुमारी है
कहो शायरों से अब शेर ना सुनाएँ।


नज़रों ने किया है तमाम काम अपना
कहो सैयाद से अब तीर ना चलाएँ।


आँखों ने कह डाला हाल-ए-दिल सभी
होंठो से कहो अब जज़्बात न बताएँ।


है तमन्ना डूब जाऊँ दिल के दरिया में
बादलों से कहो कहीं और बरस जाएँ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें