अजीब है ज़िन्दगी ये ग़ज़ब का नशा भी
कहो मयक़दों को अब शराब ना पिलाएँ।
मदहोश है रात ये ग़ज़ब की ख़ुमारी है
कहो शायरों से अब शेर ना सुनाएँ।
नज़रों ने किया है तमाम काम अपना
कहो सैयाद से अब तीर ना चलाएँ।
आँखों ने कह डाला हाल-ए-दिल सभी
होंठो से कहो अब जज़्बात न बताएँ।
है तमन्ना डूब जाऊँ दिल के दरिया में
बादलों से कहो कहीं और बरस जाएँ।
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