शब्द समर

विशेषाधिकार

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11.7.22

नाचैं राधा संग बिहारी

नाचैं राधा संग बिहारी, हाथ लए पिचकारी,
झूमें सब नरनारी, एह फागुन-बहार में|

बोले गोवर्धन-गिरधारी, सुनो राधे सुकुमारी,
आओ घुल-मिल जाएँ सतरंगी फुहार में|


कि देखो बाजे कहीं ढोल, कहीं भंग रंग घोल,
सब हो रहे हैं मस्त गुलाली बौछार में


विद्यार्थी लिए सुमन संग, बने मस्त मलंग,
लिए झोलियों में रंग बहें प्रेम की बयार में

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