शब्द समर

विशेषाधिकार

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30.7.22

जिगर कहाँ से लाओगे

मुझसे नज़र तो मिलाओगे
पर जिगर कहाँ से लाओगे

जो दग़ा हमसे किया है
वो ख़बर कहाँ मिटाओगे

पीठ-पीछे जो रखा है मेरे
वो खंजर कहाँ छुपाओगे

छुप के जो दफ़नाया है
मेरी कबर कहाँ दबाओगे

दर्द चीखेगा सरे बज़्म मेरा
अपना हशर कहाँ ले जाओगे

शब-ए-ख़ात्मा होने को है
कहो वो सहर कहाँ बुझाओगे 

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