शब्द समर

विशेषाधिकार

भारतीय दंड संहिता के कॉपी राईट एक्ट (1957) के अंतर्गत सर्वाधिकार रचनाकार के पास सुरक्षित है|
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27.11.17

सुख-दुःख और क्रोध

कभी-कभी लगता है फूट पडूँ|
फूट पडूँ,
सुख में मक्के के लावा जैसे,
दुःख में बंजर भूमि
और
क्रोध में ज्वालामुखी की तरह|

कभी-कभी लगता है घूँट लूँ|
घूँट लूँ,
सुख को सफ़ेद बादलों के जैसे,
दुःख को लहरों
और
क्रोध को बर्फ़ की तरह|

कभी-कभी लगता है पीस दूँ
पीस दूँ
सुख को खदान के पत्थरों जैसे,
दुःख को ईख
और
क्रोध को अन्न की तरह|

ये सुख-दुःख और क्रोध ही तो हैं,
जो भरमाए रहते हैं हर समय|

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