शब्द समर

विशेषाधिकार

भारतीय दंड संहिता के कॉपी राईट एक्ट (1957) के अंतर्गत सर्वाधिकार रचनाकार के पास सुरक्षित है|
चोरी पाए जाने पर दंडात्मक कारवाई की जाएगी|
अतः पाठक जन अनुरोध है कि बिना रचनाकार के अनुमति के रचना का उपयोग न करें, या करें, तो उसमें रचनाकार का नाम अवश्य दें|

6.11.17

नीरो अभी भी जीवित है

मिट्टी के घरौंदे में,
कपास की देह पहने,
तेल जैसे विषाक्त हवा को अवशोषित कर,
लपटें ऐसे किरणें फैलाती हैं,
जैसे वृक्ष कोई प्राणवायु।
जितना ही भरता जाता है तेल,
उतना ही,
रोम-रोम जलता है दीया,
रोम की तरह।
मनुष्य नाचता है, गाता है,
करता है सहस्रों कर्म,
और बजाता रहता है बंशी,
इसी के प्रकाश में।

सम्भवतः नीरो अभी भी जीवित है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें