कवि जब लिखता है,
तो शब्द अपने आप बँटवारा कर लेते हैं|
कोई अपने हिस्से चुनता है सुकूँ,
तो कोई बेचैनी को ही रख लेता है|
कोई खुशियों को छुपा लेना चाहता है,
अपनी तिजोरी में,
तो कोई छलक पड़ता है बनके दर्द|
दर्द!
दर्द, सबसे छोटा,
और सबसे कम उम्र का होता है,
जो लेता है जिम्मा
कवि के अन्तिम समय तक साथ रहने का|
माँ-बाप के साथ भी दर्द ही रह जाता है,
उनके अन्तिम समय तक
साथ देने को|
तो शब्द अपने आप बँटवारा कर लेते हैं|
कोई अपने हिस्से चुनता है सुकूँ,
तो कोई बेचैनी को ही रख लेता है|
कोई खुशियों को छुपा लेना चाहता है,
अपनी तिजोरी में,
तो कोई छलक पड़ता है बनके दर्द|
दर्द!
दर्द, सबसे छोटा,
और सबसे कम उम्र का होता है,
जो लेता है जिम्मा
कवि के अन्तिम समय तक साथ रहने का|
माँ-बाप के साथ भी दर्द ही रह जाता है,
उनके अन्तिम समय तक
साथ देने को|
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