दुःख में हर बार मूँद लेता है वह,
अपनी पलकें|
जब भरने लगती हैं आँखें,
तो सूख जाता है उसका पानी|
बहुत तपाया है ज़िन्दगी की धूप ने उसे|
अब उसकी आँखों में समन्दर नहीं,
रेगिस्तान बसता है|
अपनी पलकें|
जब भरने लगती हैं आँखें,
तो सूख जाता है उसका पानी|
बहुत तपाया है ज़िन्दगी की धूप ने उसे|
अब उसकी आँखों में समन्दर नहीं,
रेगिस्तान बसता है|
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