शब्द समर

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12.7.14

अजनबी शहर में मर जाना

किसी अजनबी शहर में मर जाना|
मर जाना किसी ऐसी जगह पर
जहाँ नहीं हो कोई अपना|
मर जाना किसी ऐसी जगह पर
जहाँ जिंदगी से ज़्यादा क़ीमती हो अपना सपना|
मर जाना ऐसी जगह पर
जहाँ नहीं हो मयस्सर एक बूँद पानी सूखते होठों के लिए|
मर जाना ऐसी जगह
जहाँ चंद सिक्के हों ज़रूरी चमकते बूटों के लिए|

मर जाना ऐसी जगह
जहाँ से माँ न देख पाए राख भी|
मर जाना ऐसी जगह
जहाँ बीवी को भी न हो पाए एहसास भी|
मर जाना ऐसी जगह
जहाँ के लिए बच्चे केवल इंतज़ारी हों|
मर जाना ऐसी जगह
जिसके लिए पिता का कंधा अभी भी भारी हो|
मर जाना ऐसी जगह
जहाँ केवल मिलती हो दमघोटू साँसें|
मर जाना ऐसी जगह
जहाँ बिकती हो रूहें और सजती हों बारातें|

मर जाना एक चार बटे चार के कमरे में
जहाँ मौत से भी बुरी हो जिंदगी|
मर जाना है ऐसी जगह
जहाँ मौत की वजह ही हो बंदगी|
मर जाना ऐसी जगह
जहाँ लोगों को पता चले सड़ांध मार रही हो जब लाश|
मर जाना ऐसी जगह
जहाँ के लानतें ही नसीब होती हों पास|
मर जाना ऐसी जगह पर
जहाँ किसी को न हो पता
कि कौन है वारिस इस लाश का|
मर जाना ऐसी जगह
जहाँ कितने ही कुंठित मर रहे हैं
और मर रहा है हर एक सपना पाश का|

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