धरा-व्योम,
जल-वायु,
अग्नि
हे मेरे निर्माता!
तुम पाँचों में से कौन प्रमुख है
जो मेरे काया का शासक है?
शशि-दिनकर
मेरे पथ प्रदर्शक!
किसके कहे चलूँ
तो लक्ष्य हो संधानित?
खनिज-अन्न,
अर्थ-अभाव,
मेरे पालक!
किस दिशा में हैं निवास तुम्हारा?
जल-वायु,
अग्नि
हे मेरे निर्माता!
तुम पाँचों में से कौन प्रमुख है
जो मेरे काया का शासक है?
शशि-दिनकर
मेरे पथ प्रदर्शक!
किसके कहे चलूँ
तो लक्ष्य हो संधानित?
खनिज-अन्न,
अर्थ-अभाव,
मेरे पालक!
किस दिशा में हैं निवास तुम्हारा?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें