शब्द समर

विशेषाधिकार

भारतीय दंड संहिता के कॉपी राईट एक्ट (1957) के अंतर्गत सर्वाधिकार रचनाकार के पास सुरक्षित है|
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अतः पाठक जन अनुरोध है कि बिना रचनाकार के अनुमति के रचना का उपयोग न करें, या करें, तो उसमें रचनाकार का नाम अवश्य दें|

9.1.23

आब-ए-हयात

दवा,
नहीं होती सिर्फ़-
हकीम की बताई कुछ गोलियाँ,
शीशियों में भरा शरबत,
या घोप दी गईं दर्दनाक सुइयाँ|

तुम ज़रा-सा मुस्कुरा दो,
ताक दो मेरी ओर मीठी निगाह से,
बोल दो,
दो आखर प्यार के|

ख़ुदा क़सम!
हर मर्ज़ का इलाज हो तुम,
मेरी ज़िन्दगी का
आब-ए-हयात हो तुम|

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