शब्द समर

विशेषाधिकार

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20.1.23

हमारी स्मृति

जिस दिन तुम लिखना चाहोगे स्वयं को,
चीरने लगेगी तुम्हारा कलेजा, 
मेरी स्मृति- उसी क्षण।
 
यद्यपि तुम करोगे प्रयत्न बचने का, 
तुम्हारे मस्तिष्क के प्रत्येक यत्न पर, 
किन्तु, 
समय मारेगा हथौड़ा, 
मेरे सह-स्मरण-चित्र का, 
तुम्हारे मनः पटल पर| 

उसका हर प्रहार, 
पिघला डालेगी तुम्हारी अनुभूतियों को, 
प्रवेश कर जाएगी बन स्याही तुम्हारी लेखनी में, 
फिर उकेर देगी पत्र-पृष्ठ पर, 
मेरे साथ, 
तुम्हारे सह-वास को, 
उस समय तुम मात्र लाचार ही रहोगे अपनी
और हमारी स्मृतियों के समक्ष| 

हाँ, संसार के सामने भले ही मुस्कुराते रहो।

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