चीरने लगेगी तुम्हारा कलेजा,
मेरी स्मृति-
उसी क्षण।
यद्यपि तुम करोगे प्रयत्न बचने का,
तुम्हारे मस्तिष्क के प्रत्येक यत्न पर,
किन्तु,
समय मारेगा हथौड़ा,
मेरे सह-स्मरण-चित्र का,
तुम्हारे मनः पटल पर|
उसका हर प्रहार,
पिघला डालेगी तुम्हारी अनुभूतियों को,
प्रवेश कर जाएगी बन स्याही तुम्हारी लेखनी में,
फिर उकेर देगी पत्र-पृष्ठ पर,
मेरे साथ,
तुम्हारे सह-वास को,
उस समय तुम मात्र लाचार ही रहोगे अपनी
और हमारी स्मृतियों के समक्ष|
हाँ, संसार के सामने भले ही मुस्कुराते रहो।
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