मरघट एक तालाब है|
तालाब ऐसा,
जिसमें जीते हैं, असंख्य सूक्ष्म,
और विशाल,
जो होता है,
अजले-जले-अधजलों का मुक्ति प्रदाता|
जिसका नाम मात्र ही
भय, और तिरस्कार भाव
से होता है सम्बोधित|
जहाँ अपने ही पैरों पर चलकर जाने से पूर्व
कंपकंपा उठती है देह,
द्विगुणित दौड़ती हैं साँसें,
झनझना जाता है पोर-पोर,
सावधान हो जाता है, रोयाँ-रोयाँ|
रंग-रूप, आकारहीन
घृणा का पात्र यह,
अपनी छाती को सुलगा,
या फाड़ कर
कर लेता है
समाहित, उन्हें,
जिन्हें छोड़ जाते हैं वे लोग,
जो कभी होते थे वचनबद्ध
जीवन-मरण तक सहचर होने का|
बहुत ही शांत, और नीरव होता है
यह मित्र,
यह मरघटी तालाब|
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