ये शहर,
ये दाग़दार शहर
जैसी थी शब,
शब भी अँधेरी
न शब आज मेरी
न सब आज मेरे
जा रही हूँ
तुम्हारे लिए
ये दाग़दार शहर
ये सहर,
ये दाग़दार सहर,
शहर भी रुलाया,
सहर भी रुलाया,
पोछने अश्क़ यहाँ
कोई न आया,
शहर भी पराया,
सहर भी पराया .
जैसी थी शब,
वैसे थे सब,
न शहर में बसेरा,
न सहर में बसेरा, शब भी अँधेरी
सहर भी अँधेरा
सब में अँधेरा,
शहर में अँधेरा,
न शब आज मेरी
न शहर आज मेरा,
न सहर आज मेरी.जा रही हूँ
ये शब छोड़कर,
ये सब छोड़कर,
ये शहर छोड़कर,
ये सहर छोड़कर.
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