तेरे सामने मैं, मेरे सामने तू,
बातों के बीच दीवारें हैं.
तू मुझसे जीती, मैं तुझसे जीता
दोनों दुनिया से हारे हैं.
तू देखे मुझे, मैं देखूँ तुझे,
नज़रों के बीच कटारें हैं.
तू बँधी है रस्मों-रिवाज़ों से,
बेड़ी मुझमें जज़्बातों की.
तू मुझमें बसी, मैं तुझमें बसा,
लोगों पड़ी दरारे हैं.
तू मेरी मंज़िल, मैं तेरा मंज़िल,
रस्ते में पड़े अंगारे हैं
बातों के बीच दीवारें हैं.
तू मुझसे जीती, मैं तुझसे जीता
दोनों दुनिया से हारे हैं.
मैं इश्क़ के आँगन में हूँ खड़ा,
तू उल्फ़त के
दरवाज़े पर,तू देखे मुझे, मैं देखूँ तुझे,
नज़रों के बीच कटारें हैं.
तू बँधी है रस्मों-रिवाज़ों से,
बेड़ी मुझमें जज़्बातों की.
तू मुझमें बसी, मैं तुझमें बसा,
लोगों पड़ी दरारे हैं.
तू लड़ बैठी
तुफ़ानों से,
मैं जूझ रहा
हैवानों से,तू मेरी मंज़िल, मैं तेरा मंज़िल,
रस्ते में पड़े अंगारे हैं
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