शब्द समर

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15.3.11

तेरे इंतजार में


















मारे पिचकारी, हर्षित नर-नारी, 
सब झूम उठे आज इस होली की बहार में.
कोई मले है गुलाल, करते अंग लाल-लाल
भूल बैर-भाव गले मिले आज सभी प्यार में.
छन रही कहीं भंग, कहीं मस्ती हुड़दंग,
बजे ढोल-नगाड़े इस फागुन की बहार में.
चले आओ हे पिया, नहीं मने ये जिया,
'विद्यार्थी' कब से बैठी हूँ मैं तेरे इंतजार में.

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