शब्द समर

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10.3.11

मौत से बुरी जुदाई

प्यार की हज़ार बात, करनी है आज रात,
आओ यार आज ली प्रेम ने अंगड़ाई है.
जिंदगी की राह, अब चलना है एक साथ,
दूर-दूर रहना मुझे रास नहीं आई है.
प्यार की घड़ी है, तू दूर क्यों खड़ी है,
मेरे दिल में आज आग लग आई है.
मेरे दिल के पास आ, यूँ मुझे न तडपा,
'विद्यार्थी' तुझे बताऊँ बुरी मौत से जुदाई है.

2 टिप्‍पणियां:

  1. भोपाल की वादियों में खिले पीले फूलों का आकर्षण खींच रहा है आपको. कोई बात नहीं जब हवा में मोहब्बत ही मोहब्बत तैरत रही है, तो जनाब बच कर कहाँ जायेंगे.

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  2. अच्छी रचना के लिए बधाई
    आशा

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