शब्द समर

विशेषाधिकार

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2.12.22

तनहाइयों की बातें

तुमने प्यार को-
सिर्फ होते देखा,
उसे मरते नहीं।

तुमने आँखों को देखा-
सिर्फ चमकते हुए,
झरते नहीं।

होंठों को तुमने देखा-
सिर्फ मुस्कुराते हुए
उन्हें फफकते नहीं।

तुमने बाँहों को देखा-
झूलते हुए सिर्फ़,
लरज़ते नहीं।

तुमने क़दमों को-
सिर्फ़ चलते हुए देखा,
उन्हें लड़खड़ाते नहीं।

मरना,
झरना,
फफकना,
लरज़ना,
लड़खड़ाना-
ये तन्हाइयों में होते हैं,
नुमाइशों में
नहीं दिखतीं।

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