मैं,
कवि नहीं हूँ।
मैं,
वर्णमाला की क्रमबद्धता को तोड़,
अक्षरों, शब्दों
और
वाक्य विन्यास में,
व्याकरण के सम्विधान का
उल्लंघन कर,
बलात उनमें भाव-विचार भरता हूँ।
मैं कवि नहीं हूँ।
मैं,
कविता नहीं लिखता हूँ।
मैं,
मन में उठ रहे उद्वेगों को,
मात्राओं के छन्दों से बाँध,
शब्दों का वस्त्र पहना,|
उपमाओं से अलंकृत कर,
रसों में डुबाकर
पाठकों को,
आस्वादन के लिए परोस देता हूँ।
मैं कविता नहीं लिखता हूँ।
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