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15.12.13

HE की जननी SHE

अंग्रेज़ी में दो शब्द हैं. एक SHE उसी के तथा उसी के बारबर HE और हिंदी में एक शब्द है 'वह'.  तीनों का तात्पर्य किसी तीसरे व्यक्ति की ओर इंगित करना होता है. SHE जो कि स्त्री की ओर इंगित करता है और HE पुरुष की ओर किन्तु 'वह' उभयलिंगी है. SHE और HE की भांति 'वह' कोई लैंगिक विभेद उत्पन्न नहीं करता. पश्चात् इसके भी हिंदी भाषी राज्यों में पुरुष प्रधान और स्त्री दलित समाज है. यह समस्या तो देश में है ही और धीरे-धीरे इससे मुक्ति भी मिल रही है. मैं अभी बात करने जा रहा हूँ SHE और HE की. इसने भी प्रत्येक भारतीय बोलचाल की भाषा में अपनी गहरी घुसपैठ कर ली है.

एक दिन की बात है हम एक समीक्षात्मक कार्य में बैठे थे. हमारे कुछ साथियों ने एक बहुत ही सुन्दर प्ररचना (Design) का निर्माण किया था जो कि उनके सहूलियत वाली भाषा अंग्रेज़ी में थी. अंग्रेज़ी इसलिए क्योंकि उनके अनुसार हिंदी उन्हें कठिन लगती है, बचपन से अंग्रेज़ी ही उनकी सहेली रही है. अपना दुःख-दर्द व्यक्ति सहेलियों से ही तो कहता है और भाषा भी एक शेली से कम नीं होती अतः वे भी अपना सारा लेखन अंग्रेज़ी में करते हैं.

बात आगे बढ़ता हूँ. हुआ यह कि उस प्ररचना में SHE शब्द का और इसी के कर्मवाचक शब्द HER का उपयोग प्रत्येक स्थान पर किया गया था जबकि यह जिन लोगों के लिए बनाया गया है उसमें HE या इसका कर्मवाचक HIS भी बराबर का भागीदार है. मैंने SHE और HER के साथ ही HE और HIS को बराबर के अस्तित्व में लाने का सुझाव दिया.

मेरे इस सुझाव से एक साथी ने बहुत ही सार्थक तर्क दिया कि जब यह समाज मात्र HE को ही हर स्थान पर आगे रखता था और SHE का कोई अस्तित्व ही नहीं आने देता था तब तुमने ऊँगली क्यों नहीं उठायी या तब तुम्हें आपत्ति क्यों नहीं हुई?  उस समय तो मैं नहीं बोल पाया था किन्तु अभी यह कह रहा हूँ कि मैं SHE के साथ ही कई HE का भी बराबर नेतृत्व करता हूँ जिसमें कई HE लोगों को अपने होने पर शंका होती है या SHE को प्रधान देख कर उन्हें कष्ट होता है. (यहाँ यह बात भी कही जा सकती है कि यदि मुझे आपत्ति नहीं और मैं ऐसे लोगों का नेतृत्व करता हूँ तो उनसे क्यों नहीं करवा सकता? ऐसी परिस्थिति में मैं मात्र यही कह सकता हूँ कि अपनी मान्यताएं मैं किसी पर थोपने का अधिकारी नहीं हूँ. हाँ उन्हें प्रेरित अवश्य कर सकता हूँ. मानसिक परिवर्तन में समय लगता है तो हो सकता है कि एक दिन वे भी इस मान्यता को स्वीकार कर लें.)

मेरे साथी के इस तर्क से कई लोगों को मुझ पर हंसने का अवसर भी मिला. संभवतः मेरा यह सुझाव उन्हें किसी हास्य की उपज समझ में आई. कई लोगों को तो यह भी लगा कि कोई हास्य कवि काव्यपाठ कर रहा है कुछ लोगों को हास्य अभिनेता तो कईयों को मैं विदूषक लगा. लोगों को हंसी आई और हंसे भी. दूसरों की भावनाओं का सम्मान करने वाले अपनी औक़ात में आ गये. उनकी औक़ात यही है कि वे किसी का सम्मान नहीं करते, अगर सामने वाले को नीचा दिखाने का अवसर मिल जाय तो.

मैंने जिन्हें यह सुझाव दिया उन्होंने इसे पूरी विनम्रता से स्वीकार किया और इसे अमल में लाने का विश्वास भी दिलाया. कोयल की यह मधुरता कौवों के कांय-कांय में दब के रह गई. फिर एक ओर से आवाज़ आई कि HE भी SHE से ही उत्पन्न होता है. मैं कोई सस्वती पुत्र बीरबल तो हूँ नहीं कि किसी प्रश्न को त्वरित उत्तरित कर सकूं किन्तु इस शब्द ने मुझे बल दिया. क्योंकि जब यह वाक्य आया तब सभी ओर मात्र अट्टहास चल रहे थे. कोई किसी को सुनने के लिए तैयार ही नहीं था. जिसके मुख से यह ध्वनि आई थी वह भी SHE ही थीं और यह ध्वनि एकदम दबी-कुचली लग रही थी. मेरे कानों में पड़ते ही मुझे बल मिला और मैं ज़ोर से चिल्लाते हुए बोला "सृष्टि का यह अद्दभुत संयोजन है कि प्रत्येक HE की उत्पत्ति SHE से ही होता है S+HE.  
फिर क्या था हर जगह बीच में ताली बजाने वाले तालिबाज़ों ने मेरी बात पर भी ताली बजा दी. 

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