शब्द समर

विशेषाधिकार

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25.12.13

जीवन के आयाम

ज़िंदगी तो ज़िंदगी है 'विद्यार्थी'
ख़ुशी की हो 
या ग़म की,
सूखे की हो
या नम की,
अधिक की हो 
या कम की,
सबसे एक ही शब्द निकलता है 
!चाह!

मज़ा तो मज़ा होता है 'विद्यार्थी'
दिन का हो 
या शाम का,
पानी का हो
या जाम का,
फ़ुर्सत का हो 
या काम का,
सबसे एक ही शब्द निकलता है 
!वाह!

दर्द तो दर्द होता है 'विद्यार्थी'
अपनों का हो
या परायों का,
आग का हो 
या हवाओं का,
बहारों का हो 
या खिज़ाओं का,
सबसे एक ही शब्द निकलता है
!आह!

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