शब्द समर

विशेषाधिकार

भारतीय दंड संहिता के कॉपी राईट एक्ट (1957) के अंतर्गत सर्वाधिकार रचनाकार के पास सुरक्षित है|
चोरी पाए जाने पर दंडात्मक कारवाई की जाएगी|
अतः पाठक जन अनुरोध है कि बिना रचनाकार के अनुमति के रचना का उपयोग न करें, या करें, तो उसमें रचनाकार का नाम अवश्य दें|

31.1.13

मृगनयनी



तेरे हुस्न की तारीफ करूं,
ये मेरी की औकात नहीं.
लिखने को जो दे साथ जिंदगी भर,
कोई ऐसा कलम-दावत नहीं.
कहना चाहूँ मिलकर तुमसे,
तो इतनी बड़ी मुलाक़ात नहीं.
बखान करूँ अगर कसकर तुमको बांहों में,
तो इतनी भी लम्बी रात नहीं.
अब तुम्हें क्या लिखूं ऐ मृगनयनी’,
विद्यार्थी के पास कोई बात नहीं.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें