शब्द समर

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20.9.12

तनहाई




नींद नहीं आती, सारी रात हैं जगाती, 
हर पल तड़पाती, जाने कैसी ये तनहाई है.
याद तुन्हें करता, दिन रात मरता,
तुममें खोया रहता, मेरी आँख भर आई है.
कि आओ मेरे पास, टूट रही मेरी साँस,
अब रही नहीं आस, मेरी जान पे बन आई है.
'विद्यार्थी' जिंदगी कि डोर, अब तू ही यार जोर,
मेरा नहीं कोई और, मेरे प्रेम कि दुहाई है.   

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