यद्यपि प्रिय मेरे शूर बहुत हैं,हम चलने को मजबूर बहुत हैं,पर मिलन हमारा होगा कैसे?सखि! प्रिय मुझसे दूर बहुत हैं।उनके ही छाया-चित्रों में,मेरे आठों याम कटते हैं,नयन-पलक गिरने पर भी,हिय से न वे ओझल रहते हैं,मेरी नसों में रक्त कणिक-सावे बह तो रहे भरपूर बहुत हैं।पर मिलन हमारा होगा कैसे?सखि! प्रिय मुझसे दूर बहुत हैं।आती है सुध उस बेला की,प्रिय ने मुख-वस्त्र उठाये थे,नयन लजीले खुल न सके।प्रिय सर्वांग में समाये थे,दृश्य नहीं हटते अन्तः से,जो प्रिय ने दिये मंजूर बहुत हैं|पर मिलन हमारा होगा कैसे?सखि! प्रिय मुझसे दूर बहुत हैं।पीत सुमन ऋतुराज के,विरह अग्नि सुलगाते हैं|प्रेम-वाण से भेद मदन,रति को और जगाते हैं|गुन-गुन करते भ्रामर भी,अब तो लगते क्रूर बहुत हैं|पर मिलन हमारा होगा कैसे?सखि! प्रिय मुझसे दूर बहुत हैं।प्रियदर्शी की वामांगी मैं,उनके चरणों की दासी|नहीं कामना और हृदय में,पग-रज की बस अभिलाषी|हुई प्रेममय दृष्टि पिया की,यही कृपा भरपूर बहुत है|पर मिलन हमारा होगा कैसे?सखि! प्रिय मुझसे दूर बहुत हैं।यशोधरा और उर्मिला-सी,पति वियोग की मारी हूँ|गर्व मुझे उन जैसा ही,निःस्वार्थ पुरुष की नारी हूँ|पर नहीं धैर्य होता उन सम,करती हूक मजबूर बहुत है|पर मिलन हमारा होगा कैसे?सखि! प्रिय मुझसे दूर बहुत हैं।शैय्या भी बिन प्रियतम के,हिय को न तनिक सुहाती है|अंक निशा में रिक्त पड़े,आँखें बस नीर बहाती हैं|धैर्य बँधाती तकिया भी,लगने लगी मगरूर बहुत है|पर मिलन हमारा होगा कैसे?सखि! प्रिय मुझसे दूर बहुत हैं।मेरे प्रिय आतुर होकर,मुझको आलिंगन करते थे|अधरों पर धर अधर वो मेरे,प्रेम-सुधा रस भरते थे|किन्तु ओष्ठ बिन प्रियतम के,सूखने पर मजबूर बहुत हैं|पर मिलन हमारा होगा कैसे?सखि! प्रिय मुझसे दूर बहुत हैं।होती है सिहरन रोयों में,चित्र नयन में पड़ते ही|तन-मन पुलकित होते हैं,जल-बूँद बदन पर पड़ते ही|एकल-कंटकीय जीवन से,मन थककर चकनाचूर बहुत है|पर मिलन हमारा होगा कैसे?सखि! प्रिय मुझसे दूर बहुत हैं।मेरी प्यारी बहन विरह!मेरे प्रियतम से कहना|प्रति एक क्षण युग सम लगता,कठिन हुआ जीवित रहना|मैं दौड़ पहुँच जाती उन तक,पर नारी के दस्तूर बहुत हैं|पर मिलन हमारा होगा कैसे?सखि! प्रिय मुझसे दूर बहुत हैं।
शब्द समर
विशेषाधिकार
भारतीय दंड संहिता के कॉपी राईट एक्ट (1957) के अंतर्गत सर्वाधिकार रचनाकार के पास सुरक्षित है|
चोरी पाए जाने पर दंडात्मक कारवाई की जाएगी|
अतः पाठक जन अनुरोध है कि बिना रचनाकार के अनुमति के रचना का उपयोग न करें, या करें, तो उसमें रचनाकार का नाम अवश्य दें|
1.3.12
वियोगिनी
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