शब्द समर

विशेषाधिकार

भारतीय दंड संहिता के कॉपी राईट एक्ट (1957) के अंतर्गत सर्वाधिकार रचनाकार के पास सुरक्षित है|
चोरी पाए जाने पर दंडात्मक कारवाई की जाएगी|
अतः पाठक जन अनुरोध है कि बिना रचनाकार के अनुमति के रचना का उपयोग न करें, या करें, तो उसमें रचनाकार का नाम अवश्य दें|

13.4.11

किससे करोगे नफ़रत...?

,
कमरे में पड़ा एक आदमी सोचता है कि
करूँ नफ़रत या मोहब्बत इस दुनिया से?

तब उसका मन उससे कहता है,
चार बाई चार के कमरे में
तुम किससे नफ़रत करोगे ?

वहाँ चारों ओर दीवारें ही दीवारें तो हैं,
उनकी तरह-तरह की आकृतियाँ
चिढाएगी तुम्हें,
जितना करोगे उनसे नफ़रत।
तुम टीसते ही रह जाओगे
और बर्बाद कर लोगे अपनी ज़िन्दगी।

मेरी बात मानों
डालो ज़रा प्यार भरी नज़र इन पर।
ये निष्प्राण, ईंट, सीमेंट, गारे से बनी दीवारें,
खींचेंगी तुम्हे अपनी ओर मोहब्बत से,
उनका स्पर्श
जगाएगी ललक तुम्हें
जीने की
एक मोहब्बत भरी जिंदगी.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें