शब्द समर

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2.11.10

हार की जीत

धैर्य नहीं तुम खोना मीत
क्योंकि यही है दुनिया की रीत,
पहले शिकस्त होती है
फिर हार के बाद होती है जीत.
धैर्य नहीं तुम खोना मीत

कितनी भी मुसीबतें आएं
सर पर चढ़ कर गाएँ
अपना मनोबल ऐसा रखो
की डर कर तुमसे भाग जाएँ
ऐसी रचो कहानी
बन जाओ सबके मन मीत
धैर्य नहीं तुम खों मीत

नहीं पकड़ना ऐसी राह
कभी लगे गरीबों की आह
अगर कोई गिर भी जाये
उठाना उसको पकड़कर बांह
बिछड़े ना कोई तुमसे
रखो सबसे ऐसी प्रीत
धैर्य नहीं तुम खोना मीत

करो सदा ईमानदारी
गाएगी तुमको दुनिया सारी
मन में सदा धीरज रखो
होगी एक दिन विजय तुम्हारी
तुम्हारे सच्चे कर्म यही
बन जायेंगे एक दिन गीत
धैर्य नहीं तुम खोना मीत

खुलेंगे बंद दरवाज़े
बजेंगे घर में विजयी बाजे
'विद्यार्थी' पूजे संसार में तुम
आएँगे लोग पूजा की थाली साजे
वर्षों मात खाने पर
होगी एक दिन 'हार की जीत'
धैर्य नहीं तुम खोना मीत

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