शब्द समर

विशेषाधिकार

भारतीय दंड संहिता के कॉपी राईट एक्ट (1957) के अंतर्गत सर्वाधिकार रचनाकार के पास सुरक्षित है|
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अतः पाठक जन अनुरोध है कि बिना रचनाकार के अनुमति के रचना का उपयोग न करें, या करें, तो उसमें रचनाकार का नाम अवश्य दें|

26.12.25

समय-सागर

किसी ने पूछा—
"आप कब तक रुकेंगे यहाँ?"

​मैंने कहा—
"एक वर्ष से अधिक
तो 'वर्ष' भी नहीं ठहर पाता कहीं;
न ही रुक पाता है 'माह',
अपनी निश्चित अवधि के पार।
​'दिन' तो चौबीस घण्टों में ही
बदल जाता है;
और 'घण्टा'—
एक घण्टा भी पार नहीं कर पाता,

स्थिर रहने के लिए।

​'कला' का जीवन भी
साठ क्षणों से ऊपर नहीं हो पाता;
और 'क्षण'—
क्षण तो क्षण में ही नष्ट हो जाता है।
​बचा बेचारा 'निमेष',
तो वह पलक झपकते ही,
विलीन हो जाता है—
अपनी 'समय-समाधि' में।

​तो, मुझसे यह प्रश्न ही अनुचित है,
कि मैं किसी ठौर पर,
कब तक ठहर पाऊँगा!"

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