ख़ून से सने अख़बार से हाल पूछते हो—
कमाल करते हो, तुम सवाल पूछते हो।
घुँघरू हो चुके टीवी से ख़याल पूछते हो—
कमाल करते हो, तुम सवाल पूछते हो।
बिक चुकी कलम का मलाल पूछते हो—
कमाल करते हो, तुम सवाल पूछते हो।
लुटी हुई इज़्ज़त का जमाल पूछते हो—
कमाल करते हो, तुम सवाल पूछते हो।
ख़बरची का दर्द-ए-हवाल पूछते हो—
कमाल करते हो, तुम सवाल पूछते हो।
चाल से हुए बेचाल की चाल पूछते हो—
कमाल करते हो, तुम सवाल पूछते हो।
मीडिया कितना हुआ ज़वाल पूछते हो—
कमाल करते हो, तुम सवाल पूछते हो।
ताल पर नाचा कितने ताल पूछते हो—
कमाल करते हो, तुम सवाल पूछते हो।
क्या सबका लहू होता है लाल पूछते हो—
कमाल करते हो, तुम सवाल पूछते हो।
आबरू का कौन है दलाल पूछते हो—
कमाल करते हो, तुम सवाल पूछते हो।
अच्छे दिनों का मेरे जलाल पूछते हो—
कमाल करते हो, तुम सवाल पूछते हो।
किस हक़ से तुम मेरा अहवाल पूछते हो—
कमाल करते हो, तुम सवाल पूछते हो।
शब्दार्थ-
मलाल — पछतावा
जमाल — खूबसूरती
हवाल — दुर्दशा
जवाल — गिरा हुआ
खबरची — पत्रकार
जलाल — महिमा
अहवाल — समाचार
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