शब्द समर

विशेषाधिकार

भारतीय दंड संहिता के कॉपी राईट एक्ट (1957) के अंतर्गत सर्वाधिकार रचनाकार के पास सुरक्षित है|
चोरी पाए जाने पर दंडात्मक कारवाई की जाएगी|
अतः पाठक जन अनुरोध है कि बिना रचनाकार के अनुमति के रचना का उपयोग न करें, या करें, तो उसमें रचनाकार का नाम अवश्य दें|

3.12.25

इंसान का गिरगिटापन

वो कहते हैं
"तुम रंग बदलो। 
तुम लाल हो तो लाल को बदलो
तुम हरे हो तो हरे को बदलो
तुम नीले हो तो नीले को बदलो
तुम काले हो तो काले को बदलो।" 

यह बात सुन रहा था गिरगिट कहीं। 
उसे लगा यह बड़ा अजीब। 
बोला बड़ी ज़ोर से — 
"ओ रंग से जाति पहचानने वालों
जब सारा रंग मनुष्य ही बदल देगा
तो क्या मैं तुम इंसानों की तरह
इस दुनिया में 
तिलक-टोपी लगाकर
तीर-तलवार, बन्दूकें लेकर
नफ़रत और दंगे फैलाने आया हूँ

भाई
जो काम मेरा है
वो मुझे करने दो। 
तुम्हारा काम है  
दुनिया रूपी बग़ीचे में
दया-करुणा के पानी से सींचकर,
इंसान रूपी फूल खिलाना
कड़वाहट के काँटे निकालकर
प्यार-मोहब्बत की खुशबू बिखेरना। 

रंग तो कुदरत की देन है
और कुदरत 

हमेशा बहुत ही खूबसूरत होती है।
 

तुम उसमें भेद न डालो।"