पानी से पानी की निशानी होगी
जब सब कुछ पानी-पानी होगा
पृथ्वी पानी की कहानी होगी
जब सब कुछ पानी-पानी होगा
गूँजेंगी किलकारियाँ
हवाओं में सिर्फ सदा बनकर
सिसकियाँ भी पहचानी होंगी
जब सब कुछ पानी-पानी होगा
खानदान की ताक पर
क्रूर समाज की शान पर
प्रेम की ही बलिदानी होगी
जब सब कुछ पानी-पानी होगा
बैलों के गले का घुँघरू
हलवाहे का पसीना
फ़सलें अतीत की सानी होंगी
जब सब कुछ पानी-पानी होगा
मीठे कसैले कड़वे-से
खारे बेस्वाद समन्दर की
लहरें केवल तूफानी होंगी
जब सब कुछ पानी-पानी होगा
नष्ट हो जाएँगे ग्रन्थ सभी
सूर्य-चन्द्र भगवान भी
श्रद्धा-भक्ति पूजानी होंगी
जब सब कुछ पानी-पानी होगा
मिट जाएँगे लोग सभी
नदी-पहाड़ का नाम भी
यादें तब भी रूमानी होंगी
जब सब कुछ पानी-पानी होगा
मिट जाएगी आग भी
मिट्टी अम्बर का ताप भी
पानी-ही-पानी की मनमानी होगी
जब सब कुछ पानी-पानी होगा
पानी ही पानी का साथी होगा
पानी ही पानी का रहबर भी
जीवन भी पानी-पानी होगा
जब सब कुछ पानी-पानी होगा।
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