शब्द समर

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29.7.21

जब सब कुछ पानी-पानी होगा

पानी से पानी की निशानी होगी

जब सब कुछ पानी-पानी होगा

पृथ्वी पानी की कहानी होगी

जब सब कुछ पानी-पानी होगा


गूँजेंगी किलकारियाँ

हवाओं में सिर्फ सदा बनकर

सिसकियाँ भी पहचानी होंगी

जब सब कुछ पानी-पानी होगा


खानदान की ताक पर

क्रूर समाज की शान पर

प्रेम की ही बलिदानी होगी

जब सब कुछ पानी-पानी होगा


बैलों के गले का घुँघरू

हलवाहे का पसीना

फ़सलें अतीत की सानी होंगी

जब सब कुछ पानी-पानी होगा


मीठे कसैले कड़वे-से

खारे बेस्वाद समन्दर की

लहरें केवल तूफानी होंगी

जब सब कुछ पानी-पानी होगा


नष्ट हो जाएँगे ग्रन्थ सभी

सूर्य-चन्द्र भगवान भी

श्रद्धा-भक्ति पूजानी होंगी

जब सब कुछ पानी-पानी होगा


मिट जाएँगे लोग सभी

नदी-पहाड़ का नाम भी

यादें तब भी रूमानी होंगी

जब सब कुछ पानी-पानी होगा


मिट जाएगी आग भी

मिट्टी अम्बर का ताप भी

पानी-ही-पानी की मनमानी होगी

जब सब कुछ पानी-पानी होगा


पानी ही पानी का साथी होगा

पानी ही पानी का रहबर भी

जीवन भी पानी-पानी होगा

जब सब कुछ पानी-पानी होगा।

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