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3.5.20

एक लड़की













एक लड़की,
एक लड़की होती है-
रसोईं का धुआँ,
चूल्हे की राख,
लकड़ियों के दुःख की भागीदार।

एक लड़की,
एक लड़की होती है-
बेलन-चकले की सहेली,
भगौने-परात-कढ़ाई की मुँह सखिया,
आटे-चावल-दाल की ताप।

एक लड़की,
एक लड़की होती है-
हल्दी का रंग,
नमक का स्वाद
धनिया की महक,
और होती है,
मसालों की भीनी सुगंध।

एक लड़की,
एक लड़की होती है-
ओखली-मूसल की ताल,
रस्सी-बाल्टी-घिरनी की लय
और चक्की के दोनों पाटों का सुर।

एक लड़की,
गोबर से सना हाथ होती है-
वन की लकड़ी
और होती है,
मटके-पर-मटका रखा सर।

एक लड़की,
एक लड़की-
माँ का ध्यान,
पिता की दवाई,
दादी-दादा के हाथ की लकड़ी
और होती है,
भाई-बहन-भौजाई की राज़दार।

एक लड़की,
एक लड़की होती है-
किताबों की दुनिया,
अपने सपने का संसार,
और सपने पर-
घर की ज़िम्मेदारी,
और
विवाह और अनचाहे गर्भ
की मार होती है।

एक लड़की,
एक लड़की-
भाई की चाहत
में उपजा अपमान होती है,
भाई की इच्छाओं का सन्तोष
अभावों के कोने की
घुटती हुई आवाज़
और आँसुओं का अम्बार होती है।

एक लड़की,
एक लड़की-
टूटा हुआ ख़्वाब होती है।

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