वह जो होना चाहता था,
उसे किसी ने होने नहीं दिया|
उसे जो होना चाहिए था,
उसे भी किसी ने होने नहीं दिया|
उसे जो नहीं होना था,
वह तो कभी वह हो ही नहीं सकता था|
वह जो हो चुका है,
उसे वह भी नहीं जानता
कि वह क्या हुआ है|
फिर भी उस होने को,
वह जीता है
अपने शरीर,
और दूसरों के मन में
यही उसका आदि और यही अन्त है|
बीच में जो भी है,
वह तड़पने की कविता है,
जो न भी होता,
तो भी वह होता..
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