मेरी नींद दरख्तों के पत्तों में,
जंगल के झुरमुटों में,
आम के बगीचों में,
गुलाब के काँटों में,
बेरों और अमरबेलों में,
दुनिया से रुखसत हुई
रूहों की तरह
पाना चाहती है एक जिस्म
और खिलना चाहती है
कमल की तरह,
महकना चाहती है ग़ज़ल की तरह,
चहकना चाहती है परिंदों के झुण्ड में,
लटकना चाहती है बाल्टी बन
पानी के कुण्ड में|
पाना चाहती है लोरियाँ और थपकियाँ,
जिसमें खो जाती हैं सारी सिसकियाँ,
गुम हो जाती हैं सारी थकाने|
बनाना चाहती है प्यार का महल
किसी ख़्वाबगाह में|
जंगल के झुरमुटों में,
आम के बगीचों में,
गुलाब के काँटों में,
बेरों और अमरबेलों में,
दुनिया से रुखसत हुई
रूहों की तरह
पाना चाहती है एक जिस्म
और खिलना चाहती है
कमल की तरह,
महकना चाहती है ग़ज़ल की तरह,
चहकना चाहती है परिंदों के झुण्ड में,
लटकना चाहती है बाल्टी बन
पानी के कुण्ड में|
पाना चाहती है लोरियाँ और थपकियाँ,
जिसमें खो जाती हैं सारी सिसकियाँ,
गुम हो जाती हैं सारी थकाने|
बनाना चाहती है प्यार का महल
किसी ख़्वाबगाह में|
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