रति का कोई संयोग नहीं,
अतः मैं प्रेम से बहिस्कृत हो गया हूँ||१||
हास्य मेरा उद्देश्य नहीं.
अतः विनोद से उपेक्षित हो गया हूँ||२||
संताप मेरे लिए अछूत है
अतः व्यथा से तिरस्कृत हो गया हूँ||३||
आकांक्षाओं की उत्कंठा नहीं
अतः उत्साह से निस्कृत हो गया हूँ||४||
हिंसा मेरा लक्ष्य नहीं
अतः क्रोध से नास्तिक हो गया हूँ||५||
भय से कोई सरोकार नहीं,
कुरूपता से त्यजित हो गया हूँ||६||
पर अपमान की कामना नहीं,
अतः घृणा के लिए दूषित हो गया हूँ||७||
नवीनता में कोई नवीनता नहीं,
अतः विस्मय से प्रतिकर्षित हो गया हूँ||८||
जो कुछ भी है वह क्षणिक है,
अतः शांति के लिए मैं परिमार्जित हो गया हूँ||९||
अतः मैं प्रेम से बहिस्कृत हो गया हूँ||१||
हास्य मेरा उद्देश्य नहीं.
अतः विनोद से उपेक्षित हो गया हूँ||२||
संताप मेरे लिए अछूत है
अतः व्यथा से तिरस्कृत हो गया हूँ||३||
आकांक्षाओं की उत्कंठा नहीं
अतः उत्साह से निस्कृत हो गया हूँ||४||
हिंसा मेरा लक्ष्य नहीं
अतः क्रोध से नास्तिक हो गया हूँ||५||
भय से कोई सरोकार नहीं,
कुरूपता से त्यजित हो गया हूँ||६||
पर अपमान की कामना नहीं,
अतः घृणा के लिए दूषित हो गया हूँ||७||
नवीनता में कोई नवीनता नहीं,
अतः विस्मय से प्रतिकर्षित हो गया हूँ||८||
जो कुछ भी है वह क्षणिक है,
अतः शांति के लिए मैं परिमार्जित हो गया हूँ||९||
अति सुन्दर ...अति सुन्दर ...अति सुन्दर ...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अमृता| बहुत दिनों पश्चात् आपकी प्रतिक्रिया मिली| प्रसन्नता हुई
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