शब्द समर
विशेषाधिकार
22.11.14
श्रद्धांजलि डूबते हुए भारत को...
21.11.14
अमिट प्रेम
10.11.14
दो सखियाँ
होते ही आँखें चार खुशियों की बरसातें हैं, दो सखियाँ.
अपने मलिन चेहरे पर भी
प्रसन्नता के भाव बिखेरने की प्रतिस्पर्धा होती हैं, दो सखियाँ.
घर की गलियों से लेकर
विद्यालय की एक-एक ईंट और दीवारों की यादें होती हैं, दो सखियाँ.
हो जाती है सुखी कुछ पल के लिए,
जैसे कि पीड़ा नाम की चीज़ कभी इन्हें छू ही न गई हो.
एक-एक पल को पूरी तरह से जी लेने की चाहत होती हैं, दो सखियाँ.
विविध भारती की तरह होती हैं वाचाल यंत्र
स्वयं के मनोरंजन का अथाह भण्डार हैं, दो सखियाँ.
बचपन से लेकर अभी तक के जीवन का
सिमटा हुआ इतिहास हैं, दो सखियाँ.
शताब्दियों पूर्व रहा होगा कोई राजा कभी
किन्तु वर्तमान में दुनिया के सबसे सुन्दर
अपने-अपने राजकुमार की सपना हैं, दो सखियाँ.
भूल कर अपना अथाह दुःख-सागर
इस पल को अपने धमनियों में सराबोर कर लेना चाहती हैं, दो सखियाँ.
सब कुछ तो अच्छा ही था
पर ये क्या
मनाये न माने,
थामे न थमे
ऐसे एक समन्दर का नाम हैं, दो सखियाँ.
पापी समय की निर्दयता
और कठोरता की मार हैं दो सखियाँ.
जिस पल मिलती हैं
उस समय की सबसे बड़ी सहेली हैं, दो सखियाँ.
लेकिन अंतिम घड़ी वही समय
दुष्ट और राक्षस बन जाता है
देखो तो कितनी बड़ी पहेली हैं, दो सखियाँ.
27.10.14
एक और मक़सूद
आप डरें नहीं बंदर जी मैं इन्हें नहीं खाऊंगा| अभी ये हमारे अतिथि हैं| मेरी तो जान में जान आई|
कहिये आज की बैठक का विशेष मुद्दा क्या है? शेर महोदय ने हाथी से पूछा?
इस दौरान कुछ कबूतर शेर के पास जा जा कर अपनी तस्वीरें उतारने लगे|
महाराज! सभी जानवर मनुष्यों द्वारा उनके लिए किये जा रहे बर्ताव से बहुत दुखी हैं| मुझे तो काटो तो खून नहीं| भाई मेरी ही शिकायत शुरू| मैं मन ही मन सोच रहा था| महाराज सभी मनुष्य अपनी करनी की तुलना हम जानवरों से कर हमे बदनाम कर रहे हैं| हाथ जी शिकायत भरे लहजे में बोल रहे थे|
अच्छा वो कैसे? मनुष्य तो हमसे अधिक गुणवान, शक्तिशाली कहे जाते हैं फिर जानवरों से तुलना करने की क्या आवश्यकता आन पड़ी? वैसे किस-किस जानवर से अपनी तुलना करते है? शेर ने आश्चर्य से पूछा|
दूसरों के इशारों पर चलने और मुफ़्त में खाने वाले को-कुत्ता,
अपनी ताक़त या दमख़म दिखाने वाले को-शेर या चीता,
धमकी देने वाले को-गीदड़,
ग़रीबी और गंदगी में जीने पर मजबूरों को-सूअर,
डर जाने वाले को-भीगी बिल्ली,
छोटे बच्चे को-मेमना,
चरित्र बदलने वाले को-गिरगिट,
झूट-मूठ रोने और आँसू बहाने वाले को-घड़ियाल,
अपना दीमाग प्रयोग न करने वाले को-गधा,
काम न करने वाले को-बैल,
चुपके से वार करने वाले को-भेड़िया,
डर के छिप जाने वाले को-चूहा,
दूसरों की बात की नकल करने वाले को-पिट्ठू तोता,
मोटे तगड़े को-गैंडा या भैंसा,
आलसियों को-अजगर
कमज़ोर और आम इन्सान को-बकरा
उत्पात मचाने वाले को-बन्दर,
दुहाई हो हुज़ूर दुहाई| मैंने हुज़ूर की ताउम्र सेवा की है| यह मेरा पोता है हुज़ूर इसे माफ़ करें| बंदर की आँखें छलछला आईं|
कैसे? गीदड़ की बात को अनसुनी करते हुए शेर ने भालू से पूछा|
वह ऐसे महाराज कि भगवान् ने हम सभी जानवरों के गुण तो इंसानों में भर दिए, तो अब हम जानवरों का इस धरती पर क्या काम?
इंसान इन्सान को खाने लगा है, इन्सान कपड़े फेक अब नंगा रहने लगा है, इन्सान अपने किसी भी रिश्ते के साथ जहाँ चाहता है वहीं खुले में मैथुन कर लेता है, और तो और अब इन्सान अपने माँ-बाप को भी बूढ़ा हो जाने पर गलियों में भीख माँगने के लिए छोड़ देता है और घर में आया को नौकरी पर रख लेता है| भगवान् ने हम सब के साथ छल किया है महाराज वह All in one (एक में सभी) की अवधारणा रच कर हम सबसे मुक्ति पा लेना चाहता है|
मुझे तो लगता है इंसान ने भगवान् को कुछ खिला-पिला कर अपनी ओर मिला लिया है| यह आवाज़ थी कुत्ते की| मैं रोज़ देखता हूँ हज़ारों का प्रसाद चढ़ाते हुए| इसीलिए तो इन्सान वनों को काटकर सभी जानवरों का घर उजाड़ रहा है और भगवान् है कि खामोश बैठा है|
फिर क्या किया जाय? मामला तो बहुत ही गम्भीर है| भगवान् का इंसानों के साथ मिल जाने वाली बात से तो मैं सहमत नहीं हूँ लेकिन इन इंसानों से कैसे निपटा जाय? हाथी ने प्रश्न उठाया|
एक ही तरीक़ा है| शेर गर्जा|
क्या? वनराज की ओर सभी की आशामय दृष्टि उठी|
शेर अपनी उन्मत्त रक्तीली आँखों से मुझे देखते हुए बोला,
"एक और मक़सूद|"
मेरी आँख खुली तो पसीने से तर-ब-तर था|
11.10.14
रेगिस्तानी आँखें
चित्र-साभार-गूगल |
नौरा! नौरा! सुनो नौरा!
तुम चली जाओगी तो मेरी ज़िन्दगी
अधूरी रह जाएगी|वह नौरा के पीछे पुकारता
हुआ दौड़ रहा है, और नौरा है कि
पैर सर पर रखे ऐसे सरपट भागी जा रही है, जैसे कोई शेर
उसके पीछे लगा हो|नौरा आगे बहुत दूर तक देख
रही है, वह केवल नौरा के क़दमों को| नौरा भाग रही है, वह दौड़ रहा है| नौरा के भागने की अपनी कोई गति नहीं है, वह जितना तेज़ दौड़ता है, नौरा भी उतनी ही तीव्र गति से भागती है| दोनों के पैर निःसंकोच
निरन्तर गति से गुरुत्वाकर्षण के साथ ठिठोली कर रहे हैं| उस निर्जन में दो
लोगों के इस तीव्र पदचाप से रास्ते धूल उड़ा-उड़ा कर आश्चर्य व्यक्त करने लगे|
उसके पुकारने की ध्वनि अब
चिल्लाहट में बदल गई| नौराआआ! नौराआआ! सुनोंओओओ
नौराआआआ! मैं तुम्हारे बिना अधूरा रह जाऊँगाआआआआ|
अन्ततः बचाव ने आक्रमण पर विजय पाई, और नौरा उसकी आँखों से धुँधली होती हुई बिल्कुल ओझल हो गई| उसकी आँखों से सागर बह निकला, और अपने दोनों हाथों को सर पर रखते हुए वह वहीं ढेर हो गया|
कुछ दिनों बाद रेगिस्तानी ज़िन्दगी लिए, वह अपने कमरे में बैठा हुआ है| उसकी आँखें तपती दोपहरी की भाँति एकदम लाल हो कर ऐसी सूख गई हैं, जैसे जेठ माह की मिट्टी और पलकें हवा भरे गुब्बारे की तरह फूली हुई हैं| अचानक उसकी रेगिस्तान में एक लहर उठी|
दरवाज़े पर दस्तक?
ओह! ज़िन्दगी के अन्तिम पड़ाव पर कौन हो सकता है? मेरा पानी तो सूख चुका है, फिर यह तरंग कहाँ से आई? यही सोचते हुए उसने दरवाज़ा खोला| आँखें एकाएक मृगमरीचिका की तरह चमक उठीं| काँपते हुए होठों से एक शब्द निकला,
नौरा?
नौरा उसके गले से ऐसे चिपक गई, जैसे अमरबेल आम के पेड़ में| उसकी आँखों का समन्दर ज्वार-भाँटे की तरह हिलोरें मारने लगा| दोनों चिपके हुए हैं| समुद्र के सभी जीवों में रसता आ गई है| सभी में हलचल होने लगी है| लहरें ऐसे उछालें मार रही हैं, जैसे आसमान को भिगो देना चाहती हैं| तभी नौरा का रंग भी समुद्री होने लगा, और एकाएक उसकी पकड़ एकदम ढीली हो गई|
नौरा के हाथ में एक काग़ज़ है|
मेरे प्रिय,
प्रेम को त्याग, प्रेम की खोज में, प्रेम से दुत्कारी, वापस प्रेम की बाँहों में दम तोड़ने की अभिलाषा में एक असफल और अधूरी प्रेमिका|
नौरा
उसके समुद्र से तेज़ धार बह निकली, और फिर वापस वह रेगिस्तान हो गया|
29.9.14
लोकगीत-रसीले नैना
चित्र साभार-गूगल |
गुइयाँ पनिया कैइसे जाऊँ रसीले दोऊ नैना
रसीले दोऊ नैना, नशीले दोऊ नैना
रानियाँ पनिया कैइसे जाऊँ रसीले दोऊ नैना
मैं कमरिया से बलखाऊँ, सम्हाले भी सम्हले ना
प्यारी पनिया कैइसे जाऊँ रसीले दोऊ नैना
पनघट पर बइठे छैला, हाथों लेके ढेला
ओके लालच से डर जाऊँ, छुपा के मोहे रखना
बिट्टी पनिया कैइसे जाऊँ रसीले दोऊ नैना
उनके बोसे में घुल जाऊँ, पनिया की सुद्ध रहे ना
लाला पनिया कैइसे जाऊँ रसीले दोऊ नैना
किस-किस से नजर बचाऊँ, बैरी ही मोरे नैना
रजनी पनिया कैइसे जाऊँ रसीले दोऊ नैना