शब्द समर

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11.10.14

रेगिस्तानी आँखें

चित्र-साभार-गूगल 

नौरा! नौरा! सुनो नौरा!
तुम चली जाओगी तो मेरी ज़िन्दगी अधूरी रह जाएगी|वह नौरा के पीछे पुकारता हुआ दौड़ रहा है, और नौरा है कि पैर सर पर रखे ऐसे सरपट भागी जा रही है, जैसे कोई शेर उसके पीछे लगा हो|नौरा आगे बहुत दूर तक देख रही हैवह केवल नौरा के क़दमों को| नौरा भाग रही हैवह दौड़ रहा है| नौरा के भागने की अपनी कोई गति नहीं है, वह जितना तेज़ दौड़ता है, नौरा भी उतनी ही तीव्र गति से भागती है| दोनों के पैर निःसंकोच निरन्तर गति से गुरुत्वाकर्षण के साथ ठिठोली कर रहे हैंउस निर्जन में दो लोगों के इस तीव्र पदचाप से रास्ते धूल उड़ा-उड़ा कर आश्चर्य व्यक्त करने लगे|
उसके पुकारने की ध्वनि अब चिल्लाहट में बदल गई| नौराआआ! नौराआआ! सुनोंओओओ नौराआआआ! मैं तुम्हारे बिना अधूरा रह जाऊँगाआआआआ|

अन्ततः बचाव ने आक्रमण पर विजय पाई, और नौरा उसकी आँखों से धुँधली होती हुई बिल्कुल ओझल हो गई| उसकी आँखों से सागर बह निकला, और अपने दोनों हाथों को सर पर रखते हुए वह वहीं ढेर हो गया|

कुछ दिनों बाद रेगिस्तानी ज़िन्दगी लिए, वह अपने कमरे में बैठा हुआ है| उसकी आँखें तपती दोपहरी की भाँति एकदम लाल हो कर ऐसी सूख गई हैं, जैसे जेठ माह की मिट्टी और पलकें हवा भरे गुब्बारे की तरह फूली हुई हैं| अचानक उसकी रेगिस्तान में एक लहर उठी

दरवाज़े पर दस्तक?

ओह! ज़िन्दगी के अन्तिम पड़ाव पर कौन हो सकता है? मेरा पानी तो सूख चुका है, फिर यह तरंग कहाँ से आई? यही सोचते हुए उसने दरवाज़ा खोला| आँखें एकाएक मृगमरीचिका की तरह चमक उठीं| काँपते हुए होठों से एक शब्द निकला

नौरा?

नौरा उसके गले से ऐसे चिपक गई, जैसे अमरबेल आम के पेड़ में| उसकी आँखों का समन्दर ज्वार-भाँटे की तरह हिलोरें मारने लगा| दोनों चिपके हुए हैं| समुद्र के सभी जीवों में रसता आ गई है| सभी में हलचल होने लगी है| लहरें ऐसे उछालें मार रही हैं, जैसे आसमान को भिगो देना चाहती हैं| तभी नौरा का रंग भी समुद्री होने लगा, और एकाएक उसकी पकड़ एकदम ढीली हो गई

नौरा के हाथ में एक काग़ज़ है|

मेरे प्रिय,

प्रेम को त्याग, प्रेम की खोज में, प्रेम से दुत्कारी, वापस प्रेम की बाँहों में दम तोड़ने की अभिलाषा में एक असफल और अधूरी प्रेमिका|

अभागिनी

नौरा

उसके समुद्र से तेज़ धार बह निकली, और फिर वापस वह रेगिस्तान हो गया|

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