शब्द समर

विशेषाधिकार

भारतीय दंड संहिता के कॉपी राईट एक्ट (1957) के अंतर्गत सर्वाधिकार रचनाकार के पास सुरक्षित है|
चोरी पाए जाने पर दंडात्मक कारवाई की जाएगी|
अतः पाठक जन अनुरोध है कि बिना रचनाकार के अनुमति के रचना का उपयोग न करें, या करें, तो उसमें रचनाकार का नाम अवश्य दें|

20.10.13

सूना रविवार


आज फिर रविवार है
आज फिर होगी वह अपने
प्रेमी का आलिंगन.
आज फिर मैं
निहार रहा हूँ अपलक
फूलों की कलियों को
जैसे बिसूरता था उसे
जब
वह मेरे गोद में रखकर अपना सर
सोया करती थी.
यह सूरज तब भी साक्षी था
जब मुझमें थी पूरी हरियाली
उसके केशों की,
आज भी है यही प्रमाण,
जब बचा हूँ मात्र एक ठूंठ
उसके चले जाने से.
 

तब यह सूरज इतना तीखा नहीं था
पर आज इसकी किरणें
अर्जुन के तीर की तरह
भीष्म को छलनी कर रही हैं.

2 टिप्‍पणियां: