शब्द समर

विशेषाधिकार

भारतीय दंड संहिता के कॉपी राईट एक्ट (1957) के अंतर्गत सर्वाधिकार रचनाकार के पास सुरक्षित है|
चोरी पाए जाने पर दंडात्मक कारवाई की जाएगी|
अतः पाठक जन अनुरोध है कि बिना रचनाकार के अनुमति के रचना का उपयोग न करें, या करें, तो उसमें रचनाकार का नाम अवश्य दें|

15.7.12

हे विचलित!

हे
विचलित!
तू हो स्थिर
समझ विधान विधाता का
वह सब कुछ नहीं है
प्राप्य हेतु तेरे
जिसके लिए होता है तू इच्छित.

हे
चंचल!
ले मान यह भी
सब कुछ नहीं है तेरा
जिस पर है तेरी गहरी आसक्ति.

हे
धूसर!
हो जा भिज्ञ
तू नहीं है पारस जो कर दे स्वर्ण
छू कर हर पाषाण को.

हे
बेकल!
तू व्यथित न हो
किसी के अस्वीकार से
सबका होता है निज जीवन
हस्तक्षेप न कर
तू उनकी निजता में
जैसे नहीं चाहता तू अपने में.

 

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