शब्द समर

विशेषाधिकार

भारतीय दंड संहिता के कॉपी राईट एक्ट (1957) के अंतर्गत सर्वाधिकार रचनाकार के पास सुरक्षित है|
चोरी पाए जाने पर दंडात्मक कारवाई की जाएगी|
अतः पाठक जन अनुरोध है कि बिना रचनाकार के अनुमति के रचना का उपयोग न करें, या करें, तो उसमें रचनाकार का नाम अवश्य दें|

9.7.12

मैं ढूंढ रहा वो अपना प्यार


मैं ढूंढ रहा वो अपना प्यार -
जिसमें छाई बहार, जिसमें ख़ुशी का खुमार, जिसमें सारा संसारऽऽऽऽऽऽऽ
मैं ढूंढ रहा वो अपना प्यार.....

स्नेहमयी माता स्तन और पिता का चुम्बन
शयनगीत अमृतमय सुनकर पुलकित होता तन-मन
वो पालना हिंडोला, वो बांहों का झूला, वो ख़ुशी की पुकारऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ
मैं ढूंढ रहा वो अपना प्यार.....

ममतामय कर तेल लगाते और काजल का टीका
मन में माँ के हुई वेदना जब भी लाला छींका
वो पेट का बिछौना, माँ का गीले में सोना, वो प्यारी पुचकारऽऽऽऽऽऽऽऽऽ
मैं ढूंढ रहा वो अपना प्यार......

दिन के खटपट से फुर्सत हो जब भी घर में आते
शिशु की छोटी सी किलकारी पर कुर्बान हो जाते
भूल जाते थकान, उठाते कंदुक सामान, पिता देते दुलारऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ
मैं ढूंढ रहा वो अपना प्यार.........


1 टिप्पणी:

  1. bhut pyari rachana...hai..ar y sirf ek rachna he nahi..y vo sachhhai hai..jishy.bhgvan bh acute nahin.....jai shri krshna.....mitr.....aap ek achhy lekhak ,kavi ar ek achhy enshaan hai....akanksha saxena.

    जवाब देंहटाएं