शब्द समर

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4.12.11

तन्हा चाँद


















ये चाँद.
ये अँधेरी रात का चाँद.
ये अनगिनत तारों के बीच अकेला चाँद.
चमक रहा है खुद,
दे रहा है रोशनी दुनिया को
लेकिन
अपने आसपास लिए अँधेरा चाँद.
जबकि है ये पूरा अपने आप में,
फिर भी दिख रहा अधूरा चाँद.
चांदनी भी छोड़ इसे आ गई ज़मीन पर,
अब खड़ा इंतजार में ये तन्हा चाँद.
मत कर फिकर,
कर इंतज़ार,
चांदनी आये न आये,
क़यामत ज़रूर आएगी
जो तेरी और सिर्फ़ तेरी होगी,
उसीकी आगोश में समा जाना,
हो जाना रुख़सत
तब होगा
एहसास उसे
कि
उसकी अँधेरी दुनिया को रौशन करने वाला
केवल
तू ही था अकेला चाँद.   

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