शब्द समर

विशेषाधिकार

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1.5.25

मैं श्रमिक हूँ


मैं श्रमिक हूँ
,
श्रम ही मेरा आलम्बन है।

मेरी नींद, मेरी भूख,
मेरी श्वास, मेरा रक्त
सब हैं
मेरे श्रम के भक्त।

मैं श्रमिक हूँ,
श्रम ही मेरा आधार है।
मेरा फावड़ा, मेरा लैपटॉप,
मेरी यात्रा, मेरी कुदाल,
सब हैं
मेरे मस्तक-भाल।

मैं श्रमिक हूँ,
श्रम ही मेरा अभिमान है।
मेरे भाव, मेरी सोच,
मेरी दृष्टि, मेरा रंग
सब हैं
मेरे जीवन-रंग।

मैं श्रमिक हूँ,
श्रम ही मेरा अधिकार है।
मेरा भूत, मेरा भविष्य
मेरा वर्तमान, मेरा काल
सब हैं
मेरे जीवन-जाल।

मैं श्रमिक हूँ
और बिना श्रम
मुझे न रोटी मिले,
न मिले सुख-चैन। 

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