यह
जो मेरी खिलखिलाहट है, मुस्कुराहट है न?
यह
नहीं है हँसी मात्र मेरी,
यह-
आषाढ़
का मेघ है,
सावन
की हरियाली है,
भादों
की कजरी भी है,
तो
क्वार की क्यारी है|
कार्तिक
की जगमगाती दीवाली
और
मार्गशीर्ष की गुलाबी गुनगुनी धूप है ,
तो
पौष का मकर, पोंगल लोहड़ी,
और
माघ के वसन्त आहट है|
फागुन
की रंग-बिरंगी पिचकारी है यह,
और
है चैत्र के ढोल-नगाड़ों सहित खलिहान की खुशहाली,
वैशाख
में यह नाचती बिहू और वैशाखी है,
तो
जेठ में रिमझिम बरखा की तैयारी है|
मेरे
माता-पिता जब भी मुझे ऐसे देखते हैं,
तो
जी जाते हैं-छः ऋतुएँ,
बारहों
महीने,
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