शब्द समर

विशेषाधिकार

भारतीय दंड संहिता के कॉपी राईट एक्ट (1957) के अंतर्गत सर्वाधिकार रचनाकार के पास सुरक्षित है|
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अतः पाठक जन अनुरोध है कि बिना रचनाकार के अनुमति के रचना का उपयोग न करें, या करें, तो उसमें रचनाकार का नाम अवश्य दें|

27.6.15

तुम वक़्त को पुकारो

दरवाज़ा बंद है, तो रहने दो,
ज़बान ताले से पैबंद है, तो कहने दो,
हवा में कुछ गंध है, तो बहने दो,
दिल में दर्द सा कुछ बंद है, तो सहने दो,

कोई कुछ पूछता भी नहीं, कोई बात नहीं,
कोई कुछ सोचता भी नहीं, कोई बात नहीं,
कोई कुछ कहता भी नहीं, कोई बात नहीं,
कोई कुछ देखता भी नहीं, कोई बात नहीं,

एक साज़ दूँ? तुम मौन रहो,
एक आवाज़ दूँ? तुम मौन रहो,
एक अल्फाज़ दूँ? तुम मौन रहो,
एक अंदाज़ दूँ? तुम मौन रहो,

तुम वक़्त को पुकारो,
जब वो आएगा तो सब अपने आप ही खुल जायेंगे|

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