आमतौर पर अपने
लिए तुम-ताम या तू-तकार वाले शब्द मुझे पसंद नहीं है| जैसे ही ऐसे शब्द
मेरे लिए कोई निकालता है मेरा आत्मसम्मान इतना तेज़ ठोकर खाता है कि उसे महीनों भूख
नहीं लगती किन्तु यहाँ ऐसा शब्द निकालने वाला कोई मनुष्य नहीं एक गधा था| अब गधे से अपने
लिए सम्मान की अपेक्षा करना मुझे स्वयं को उसके बराबर खड़ा होने जैसा लगा अतः
सुनी-अनसुनी करके मैं आगे बढ़ने लगा|आप डरें नहीं बंदर जी मैं इन्हें नहीं खाऊंगा| अभी ये हमारे अतिथि हैं| मेरी तो जान में जान आई|
कहिये आज की बैठक का विशेष मुद्दा क्या है? शेर महोदय ने हाथी से पूछा?
इस दौरान कुछ कबूतर शेर के पास जा जा कर अपनी तस्वीरें उतारने लगे|
महाराज! सभी जानवर मनुष्यों द्वारा उनके लिए किये जा रहे बर्ताव से बहुत दुखी हैं| मुझे तो काटो तो खून नहीं| भाई मेरी ही शिकायत शुरू| मैं मन ही मन सोच रहा था| महाराज सभी मनुष्य अपनी करनी की तुलना हम जानवरों से कर हमे बदनाम कर रहे हैं| हाथ जी शिकायत भरे लहजे में बोल रहे थे|
अच्छा वो कैसे? मनुष्य तो हमसे अधिक गुणवान, शक्तिशाली कहे जाते हैं फिर जानवरों से तुलना करने की क्या आवश्यकता आन पड़ी? वैसे किस-किस जानवर से अपनी तुलना करते है? शेर ने आश्चर्य से पूछा|
दूसरों के इशारों पर चलने और मुफ़्त में खाने वाले को-कुत्ता,
अपनी ताक़त या दमख़म दिखाने वाले को-शेर या चीता,
धमकी देने वाले को-गीदड़,
ग़रीबी और गंदगी में जीने पर मजबूरों को-सूअर,
डर जाने वाले को-भीगी बिल्ली,
छोटे बच्चे को-मेमना,
चरित्र बदलने वाले को-गिरगिट,
झूट-मूठ रोने और आँसू बहाने वाले को-घड़ियाल,
अपना दीमाग प्रयोग न करने वाले को-गधा,
काम न करने वाले को-बैल,
चुपके से वार करने वाले को-भेड़िया,
डर के छिप जाने वाले को-चूहा,
दूसरों की बात की नकल करने वाले को-पिट्ठू तोता,
मोटे तगड़े को-गैंडा या भैंसा,
आलसियों को-अजगर
कमज़ोर और आम इन्सान को-बकरा
उत्पात मचाने वाले को-बन्दर,
दुहाई हो हुज़ूर दुहाई| मैंने हुज़ूर की ताउम्र सेवा की है| यह मेरा पोता है हुज़ूर इसे माफ़ करें| बंदर की आँखें छलछला आईं|
कैसे? गीदड़ की बात को अनसुनी करते हुए शेर ने भालू से पूछा|
वह ऐसे महाराज कि भगवान् ने हम सभी जानवरों के गुण तो इंसानों में भर दिए, तो अब हम जानवरों का इस धरती पर क्या काम?
इंसान इन्सान को खाने लगा है, इन्सान कपड़े फेक अब नंगा रहने लगा है, इन्सान अपने किसी भी रिश्ते के साथ जहाँ चाहता है वहीं खुले में मैथुन कर लेता है, और तो और अब इन्सान अपने माँ-बाप को भी बूढ़ा हो जाने पर गलियों में भीख माँगने के लिए छोड़ देता है और घर में आया को नौकरी पर रख लेता है| भगवान् ने हम सब के साथ छल किया है महाराज वह All in one (एक में सभी) की अवधारणा रच कर हम सबसे मुक्ति पा लेना चाहता है|
मुझे तो लगता है इंसान ने भगवान् को कुछ खिला-पिला कर अपनी ओर मिला लिया है| यह आवाज़ थी कुत्ते की| मैं रोज़ देखता हूँ हज़ारों का प्रसाद चढ़ाते हुए| इसीलिए तो इन्सान वनों को काटकर सभी जानवरों का घर उजाड़ रहा है और भगवान् है कि खामोश बैठा है|
फिर क्या किया जाय? मामला तो बहुत ही गम्भीर है| भगवान् का इंसानों के साथ मिल जाने वाली बात से तो मैं सहमत नहीं हूँ लेकिन इन इंसानों से कैसे निपटा जाय? हाथी ने प्रश्न उठाया|
एक ही तरीक़ा है| शेर गर्जा|
क्या? वनराज की ओर सभी की आशामय दृष्टि उठी|
शेर अपनी उन्मत्त रक्तीली आँखों से मुझे देखते हुए बोला,
"एक और मक़सूद|"
मेरी आँख खुली तो पसीने से तर-ब-तर था|
