चलो दुनिया में हम अब रोटी की क़ीमत ढूंढ लें।
आओ भूलाने ग़म को हम अपनी नसीहत ढूंढ लें।
वो जहां गोदमों में वर्षों से राषन सड़ रहा,
उसको पाने की चलों हम सबकी नीयत ढूंढ लें।
चलो दुनिया में हम अब रोटी की क़ीमत ढूंढ लें।
चंद टुकड़ों के लिए अब तक ग़ुलामी कर रहे,
उनकी मुक्ति की चलो अपनी तबीयत ढूंढ लें।
चलो दुनिया में हम अब रोटी की क़ीमत ढूंढ लें।
ऊंचे महलों में जहां एक काली दुनिया मस्त है,
पर्दे के पीछे की आओ सब हक़ीक़त ढूंढ लें।
चलो दुनिया में हम अब रोटी की क़ीमत ढूंढ लें।
बन के हम सैलाब निकलें इस जहां की भीड़ में,
तांडव के भूचाल सी हम अपनी हिम्मत ढूंढ लें।
चलो दुनिया में हम अब रोटी की क़ीमत ढूंढ लें।
वाह !
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